Add To collaction

लेखनी कहानी -08-Jul-2022 यक्ष प्रश्न 1

कंजूस मल 

एक गांव में एक सेठ रहता था । नाम था धनीराम । कंजूस इतना कि चाहे चमड़ी चली जाए मगर दमड़ी ना जाए । इसलिए लोगों ने उसका नाम कंजूस मल रख दिया था । 
एक दिन सेठानी ने कहा कि आपने लोभ लालच के कारण कोई दान पुण्य तो किया नहीं फिर ऊपर जाकर क्या मुंह दिखाओगे ? ऐसा करो कि पास में ही गंगा जी बहती हैं , जाकर गंगा स्नान ही कर आओ । यहां से ज्यादा दूर भी नहीं है । गाड़ी घोड़ों की आवश्यकता है नहीं । पैदल पैदल चले जाओ और गंगा स्नान करके पैदल पैदल ही वापस आ जाना । वो कहावत है ना कि हल्दी लगे ना फिटकरी , रंग चोखा आए । 

कंजूस मल को बात जम गई । उसने सोचा कि यह बात उसके दिमाग में पहले क्यों नहीं आई ? चलो , अब क्या हो गया ? देर आयद , दुरुस्त आयद ।‌ 

सेठजी यात्रा की तैयारी करने लगे । सेठानी ने रास्ते में खाने के लिए परांठे बनाकर रख दिए । सेठ जी बड़े उत्साह और उमंग से गंगा स्नान करने चल दिए  । गंगा जी वहां से कोई दस बारह कोस यानि कि तीस पेंतीस किलोमीटर दूर थी  ।चूंकि कंजूस मल अपने नाम को सार्थक करने वाले इंसान थे इसलिए पैदल पैदल ही चल दिए । सेठानी ने परांठे रख दिए थे रास्ते में खाने के लिए । जब भूख लगी तो दो परांठे खा लिए , ठंडा पानी पिया और फिर चल दिए । 

इस तरह चलते चलते सेठजी गंगा किनारे पहुंच गए । गंगा जी के घाट पर भक्तों की भारी भीड़ लगी हुई थी । पंडे लोग जजमानों को गंगा जी की पूजा अर्चना करा रहे थे और दान दक्षिणा ले रहे थे । सेठजी ने सोचा कि अगर यहां स्नान करूंगा तो पंडे पैसे मांगेंगे । कंजूस मल और पैसे दे दे ?कदापि नहीं ।  इसलिए सेठ जी कहीं और चल दिए । 

दान दक्षिणा से बचने के चक्कर में वे गंगाजी के किनारे किनारे चलते रहे । एक दो किमी चलने के बाद वे सुनसान  क्षेत्र में आ गये । यह वह क्षेत्र था जहां मुर्दों का अंतिम संस्कार होता था ।  सेठजी ने सोचा कि यहां कोई नहीं है , यहीं पर नहा लेता हूं ।  यहां कोई पंडा वगैरह भी नहीं आयेगा और अपने को धेला भी खर्च नहीं करना पड़ेगा । "हल्दी लगे ना फिटकरी , रंग चोखा आये", कहावत चरितार्थ होने जा रही थी । 

सेठ कंजूस मल ने गंगा स्नान हेतु अपने वस्त्र उतारे । केवल धोती पहन कर गंगाजी में डुबकी लगाने लगे । एक हाथ ऊपर कर वह डुबकी लगा ही रहे थे कि एक आवाज आई
 " हर हर गंगे " । 
इस आवाज को सुनकर सेठ कंजूस मल की समस्त इन्द्रियां जाग्रत हो गईं । पानी में से मुंडी बाहर निकाल कर देखा तो एक पंडा को गंगा किनारे खड़ा पाया ‌ । पंडा को देखकर कंजूस मल के तोते उड़ गये । "जिससे डरते थे, वही बात हो गई " । सेठ जी ने सोचा कि यह आफत कहां से आन पड़ी है ? इसको भी अभी आना था ? दस मिनट में मेरा स्नान हो जाता , तब आ जाता तो इसका क्या बिगड़ जाता ? अब आ ही गया है तो इससे पीछा कैसे छुड़ाया जाए ? कैसे पैसा बचाया जाए ? इसमें दिमाग चलने लगा उनका ।

उधर , भगवान विष्णु पंडा का वेश बनाकर कंजूस मल की परीक्षा लेने आए थे । सेठ कंजूस मल भगवान को पंडा के वेश में पहचान नहीं पाए । ध्यान केवल पैसे बचाने में ही लगा रहा था उनका । इसलिए भगवान को कैसे पहचानते ?  

सेठ कंजूस मल अभी गंगा स्नान कर ही रहे थे कि पंडा बने भगवान ने कहा " का जजमान ? बिना पंडा की दच्छना दिए ही गंगा स्नान का पुन्न लै रहे हौ " ? 
सेठ कंजूस मल को ऐसा लगा कि जैसे कबाब में हड्डी आ गई हो । उसने टालने की गरज से कहा " महाराज , हम तो ऐसे ही आ गए थे । कोई कारज करम की खातिर तो आए नहीं हैं । अगर आते तो आपसे जरूर पूजा अर्चना कराते  । रुपया पैसा तो कुछ लाये नहीं हैं " । 

पंडा जी भी कम नहीं थे । बोले " कोई बात नहीं , बच्चा । आप तो संकल्प कर दें बस , फिर तो हम बाद में भी ले लेंगे " । 

कंजूस मल ने पीछा छुड़ाने की गरज से कह दिया कि "अच्छा आप कहते हैं तो ले लेते हैं संकल्प । एक धेले का संकल्प लेते हैं । हम ये एक धेला आपको बाद में दे देंगे " 

पंडा ने तथास्तु कहकर संकल्प करवा दिया । सेठ कंजूस मल ने स्नान किए और पूजा अर्चना की । बाद में खुशी खुशी घर को आ गए । 

घर आकर खाना खाया और आराम करने लगे । इतने में घर की सांकल बज उठी और आवाज आई " यजमान की जय हो " । सेठानी ने दरवाजा खोला तो एक पंडा को देखकर चौंकी । पंडा को बाहर ही खड़ा कर के सेठानी सेठजी के पास आई और कहा " गंगाजी से एक पंडा आया है । कोई संकल्प के बारे में बता रहा है । कहता है कि आपने एक धेले का संकल्प लिया था ।  क्या कहूं उसको " ? 

सेठजी ने सोचा " इतनी जल्दी आ मरा ? थोड़ा तो चैन लेने देता कम से कम । अब आ ही मरा है तो कुछ तो करना पड़ेगा जिससे धेला बच जाए " । 
उन दिनों धेला मुद्रा की सबसे छोटी इकाई थी यानी एक पैसे का सौ वां भाग धेला कहलाता था । सेठजी ने सेठानी को कहा " कह दे कि सेठजी बीमार पड़े हैं दो चार दिन बाद आना " ? 
सेठानी ने झूठ बोलने से मना कर दिया । सेठजी ने कहा  "बस एक बार की तो बात है , क्या फर्क पड़ता है " ?

सेठानी ने पंडा को कह दिया कि सेठजी बीमार हैं इसलिए वे दो चार दिन बाद आएं । पंडा ने कहा " सेठजी बीमार हैं ? ऐसा कैसे हो सकता है कि हमारे यजमान बीमार पड़े हों और हम उन्हें ऐसी हालत में छोड़ कर चले जाएं ?  हम सेठजी को बीमारी की हालत में छोड़कर नहीं जाएंगे । यहीं बाहर इंतजार करेंगे " । 

सेठानी पंडा को दोनों समय का भोजन कराने लगी । सेठजी ने सोचा कि ये तो आफत मोल ले ली है उन्होंने । इस आफत से छुटकारा पाना है । मगर कैसे ? सोचने लगे । उन्होंने पत्नी को कहा कि  घोषणा कर दो कि सेठजी मर गए हैं " ? 

बेचारी पत्नी । क्या करती । रोने पीटने का नाटक करने लगी । बाहर से पंडा ने पूछा कि क्या हो गया ? सेठानी बोली " सेठजी स्वर्ग सिधार गए" । 

पंडा रूपी भगवान ने कहा कि हे भगवान । यह क्या अनर्थ हो गया ? सेठ जी को इतनी जल्दी बुला लिया अपने पास ।
फिर उसने सेठानी से कहा " तुम अकेली महिला कैसे करोगी अंतिम संस्कार की व्यवस्था ? हम अभी पूरे गांव को खबर कर देते हैं और सेठजी के अंतिम संस्कार का इंतजाम भी कर देते हैं । 

सेठानी मना करती रही लेकिन पंडा ने पूरे गांव में सूचना कर दी । लोग दौड़े चले आए । सेठ कंजूस मल सांस रोके पड़े रहे । लोग उनके अंतिम दर्शन कर रहे थे । सेठानी कहने लगी " ये मरे नहीं हैं , नाटक कर रहे हैं " । मगर सब लोगों ने कहा " इस दर्दनाक घटना ने सेठानी को पागल बना दिया है । देखो बेचारी का रो रोकर क्या हाल हो गया है " ? 

पंडा सब लोगों को साथ लेकर सेठजी की अर्थी को साथ लेकर गंगा किनारे आ गए । चिता तैयार हो गई । सेठजी अभी भी सांस रोके पड़े रहे । पंडा ने कहा " भाइयों , हम अंत समय पर सेठजी के कान में ब्रह्म ज्ञान कहेंगे । आप लोग थोड़ा दूर हो जाओ " । लोग थोड़ा दूर हो गए । 

पंडा सेठ कंजूस मल के पास आया और कान में कहने लगा 

" आया हूं बैकुंठ से तुझसे नाता जोड़ "

फिर धीरे से कहा " यजमान , तेरी कंजूसी जीत गई और मैं हार गया । बोल , क्या मांगता है ? कुछ भी मांग ले " 

सेठजी को लगा कि भगवान आए हैं इसलिए उसने एक आंख थोड़ी सी खोली तो देखा कि सामने वही पंडा खड़ा है । उन्होंने तुरंत आंख बंद कर ली और कहा 

" बड़ी कृपा होगी पंडा जी , बस धेला दीजे छोड़ " 

भगवान विष्णु उसकी कंजूसी देखकर मुस्कुरा दिए और चले गए । आखिर में सेठजी की कंजूसी जीत गई । 

   13
4 Comments

Barsha🖤👑

21-Sep-2022 05:39 PM

Beautiful

Reply

दशला माथुर

20-Sep-2022 11:25 AM

Behtarin rachana 👌

Reply

shweta soni

19-Sep-2022 11:43 PM

बहुत खूब 👌

Reply